गोल्ड म्युचुअल फंड 3 साल से बने हैं घाटे का सौदा, आगे भी अच्छे नहीं आसार
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गोल्ड में निवेश सुरक्षित माना जाता रहा है, लेकिन गोल्ड म्युचुअल फंड के रिटर्न को देखने के बाद यह सही नहीं लग रहा है। गोल्ड म्युचुअल फंड लगातार 3 साल से निगेटिव रिटर्न दे रहे हैं। निगेटिव रिटर्न का मतलब कि जितना निवेश किया गया है, उसकी वैल्यू उससे भी कम हो जाना है। जानकारों की मानें तो सोने के भाव में आगे भी बढ़त के आसार कम ही हैं। ऐसे में गोल्ड म्युचुअल फंड में निवेश करने वालों को अपने निवेश पर फिर से गौर करने की जरूरत है।गोल्ड के रेट के हिसाब से घटती-बढ़ती है एनएवी
गोल्ड म्युचुअल फंड में निवेश बाजार से गोल्ड खरीदने जैसा ही होता है। बाजार में अगर कीमत ऊपर जाती है तो गोल्ड म्युचुअल फंड की नेट आसेट वैल्यू (एनएवी) भी ऊपर जाती है, और कीमत घटती है तो एनएवी घटती है। पिछले कई साल से गोल्ड की कीमत में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। यह भाव 26 हजार रुपए से 30 हजार प्रति दस ग्राम के बीच चल रहा है।
निवेश की जगह ट्रेडिंग में फायदा
गोल्ड में निवेश करने वालों को पिछले तीन सालों में रिटर्न नहीं मिला है। स्थिति यह है कि रिटर्न नकारात्मक रहा है। हालांकि अगर किसी ने गोल्ड के 29 या 30 हजार के भाव पर बेच कर 26 या 27 हजार के भाव पर फिर से खरीदा होगा, तो उसे ही फायदा हुआ होगा। ऐसा मौका पिछले तीन साल में कई बार आया है। लेकिन म्युचुअल फंड में पैसा लगाने वाला आमतौर पर निवेशक होता है, ट्रेडर नहीं है। ऐसे में उसे अपने निवेश पर नुकसान ही हुआ है।
फंडामेंटल अभी भी नहीं हैं अच्छे
एंजेल ब्रोकिंग के चीफ एनालिस्ट कमोडिटी प्रथमेश माल्या के अनुसार सोने में अभी निवेश का सही समय नहीं है। सोना अगले 3 से 6 महीने में 500 से लेकर 1000 रुपए प्रति दस ग्राम तक नीचे भी आ सकता है। ऐसे में गोल्ड में नई खरीद करने के पहले बहुत ही सोच-विचार की जरूरत है, हो सके तो इससे बचा ही जाए।
वहीं शेयरखान के वाइस प्रेसिडेंट मृदुल कुमार वर्मा का कहना कि स्मार्ट निवेशकों के लिए गोल्ड म्युचुअल फंड में निवेश करना अच्छा है। यहां पर डीमैट में गोल्ड होता है, उसे कभी भी बेचा जा सकता है। स्मार्ट निवेशक समय से इसे बेच सकता है और फिर भाव गिरने पर दोबारा खरीद कर फायदा उठा सकता है। यहां पर गोल्ड खरीदना बाजार से या कमोडिटी मार्केट से खरीदने से भी आसान होता है। इसलिए गोल्ड म्युचुअल फंड में निवेश को रोटेट करते रहना ही अच्छी रणनीति है, निवेश करके बैठे रहना ठीक नहीं है।
ऐसे हो सकता था फायदा
कैन गोल्ड फंड को अगर उदाहरण के रूप में लें, तो निवेशक को एक साल में केवल 1 फीसदी का रिटर्न मिला है। यह रिटर्न दो साल में 3.6 फीसदी है, जबकि तीन साल में उसे करीब 1.5 फीसदी का निगेटिव रिटर्न मिला है। लेकिन अगर निवेशक ने इस फंड में पिछले एक साल में खरीद कर बेचने की रणनीति बनाई होती तो लाभ होता। इस फंड की एनएवी 28 मार्च 2016 को 2684 रुपए थी, जो बढ़कर 5 अगस्त 2016 को 2978 रुपए हो गई थी। यानी सस्ते में खरीद के बाद फायदे में निकलने का मौका। इसके बाद यही निवेशक अगर इसे दोबारा 23 दिसंबर 2016 में खरीदता तो उस वक्त इसकी एनएवी 2625 रुपए थी, जो 23 फरवरी 2017 को 2752 रुपए थी। अगर निवेशक ने इस तरह की रणनीति अपनाई होती तो उसे करीब 12 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिला होता।
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